ज़ाहिर
दुनिया को नहीं मालूम
एक मायूस गली में मैं रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
नाक़ामयाबी के दरिया में डूबता
तिनका मैं खोजता रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
तुम समझोगे, अपनाओगे जो मैं हूँ
खुशफैमियों में अपनीही रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
तंग हो रही मेरी चादर
पैर समेटता रहता हूँ|
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
--o --
दुनिया को नहीं मालूम
एक मायूस गली में मैं रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
नाक़ामयाबी के दरिया में डूबता
तिनका मैं खोजता रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
तुम समझोगे, अपनाओगे जो मैं हूँ
खुशफैमियों में अपनीही रहता हूँ |
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
तंग हो रही मेरी चादर
पैर समेटता रहता हूँ|
कई दिनों से कहना चाहता था
चलो आज मैं ये कहता हूँ ||
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