Tuesday, February 26, 2019

Waham

वहम

ख्वाबों का वज़न
हक़ीक़त से कम क्यों हैं |
इस शहर में हर दूसरी
आँख नम क्यों हैं ||

नहीं आसान ये सफ़र
ज़िन्दगी एक जद्दोजहद
बेबुनियाद और बेतुकीसी
नसीहतें बाहम क्यों हैं ||

पेट जब हो खाली ख़ाली
कैसे न देखें दूसरे की थाली
एक निवाला भी न बांटे
ज़माना इतना बेरहम क्यों है ||

हौंसले से क्या नहीं मिलता
सिकंदर तो मैं ही हू
कल होगा आज से बेहतर
छटता नहीं ये वहम क्यों है ||

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